कोशिका की विस्तृत संरचना(detailed structure of cell)

कोशिका की संरचना बहुत ही जटिल एवं विस्तृत है।हम इसकी संरचना का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों में कर सकते है:-
                     
                   कोशिकाद्रव्य(cytoplasm)
केन्द्रक या केन्द्रकों को छोड़कर शेष भाग को कोशिकाद्रव्य कहा जाता है।
            कोशिका कला (cell membrane)
जीवद्रव्य की सबसे बाहरी परत, कोशिका कला बनाती है। कोशिका कला से लेकर केन्द्रक कला (nuclear membrane)तक सभी संरचनाएं विशेष संगठन वाली झिल्लियों से बनी होती है।
                    कोशिका भित्ति(cell well)
कोशिका भित्ति निर्जीव पर्त है ये पादप कोशिका में कोशिका कला को चारों तरफ से घेरे रहता है। ये सेलूलोज़(cellulose )की बनी होती है। जन्तुओ में कोशिका भित्ति नही होती है,
Eiglena aur paramoecium जैसे जन्तुओं में कोशिका के चारों ओर प्रोटीन की परत होती है।
       अन्तःप्रद्रव्यी जालिका या ऐंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Eundoplasmic Reticulum)
सभी पादप तथा जन्तु कोशिकाओं के  कोशिद्रव्य का मुख्य भाग अन्तःप्रद्रव्यी जालिका से ही बनी होता है।यह जालिका इकाई कलाओं से बनी विभिन्न प्रकार की संरचनाओं के रूप में सम्पूर्ण कोशिकाद्रव्य में फैली रहती है।इन कलाओं के बाहरी भाग पर छोटे-छोटे राइबोसोम(ribosomes) कण चिपके
रहते है।इन कणों से युक्त कलाएँ कणिकामय जालिका बनाती है।                                                                        माइटोकांड्रिया (mitochondria)
ये सूत्राकार, शलाका के आकार के, गोल या कणिका के रूप में मिलते हैं।
इनकी रचनाएँ सूक्ष्म थैले के समान होता हैं, इसकी अधिकतम लम्बाई 2 से 5 माइक्रॉन तक तथा इसकी मोटाई 0.5माइक्रॉन से 2 माइक्रॉन तक होती है।
प्रत्येक माइटोकांड्रिया दोहरी पर्त वाली इकाई कलाओं से बनी होती हैं,  बाहरी पर्त (outer layer)समतल तथा  भीतरी पर्त(inner layer ) अनेक उभारों में उभरी रहती है।उभारों को क्रिस्टी(cristae) कहते हैं।इन उभारों के कारण भीतरी कक्ष अनेक छोटे, अपूर्ण तथा अंतःसंबंध खानों में विभाजित होता है।भीतरी कलाओं पर अनेक छोटे-छोटे सवृन्त कण जुङे रहते हैं। इन कणों को आक्सीसोम(oxysomes) कहा जाता है। ये कण ही श्वशन  की क्रिया के प्रमुख भाग है।
गॉल्जी काय(Golgi body)
ये अनेक झिल्लियों से बने थैले जैसे आकारो से मिलकर बानी संरचनाएं होती हैं।जिनमे तीन प्रकार के महत्वपूर्ण आकर होते हैं_
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(1):- सिस्टरनी(cisternae)_ ये एक के ऊपर एक तहो के रूप में फँसी हुई चपाती थैलियों के समान आकार वाली समान्तर संरचनाएं होती हैं।
(2)पुटिकाएँ:- ये सिस्टरनी(cisternae)के किनारों पर टूटकर अलग होती रहने वाली अनेक  छोटी -छोटी थैलियाँ हैं।
(3) रिक्तिकाएँ(vacuoles):- ये भी चौङे थैले के आकार की गोल संरचनाएं होती हैं।
            तारककाय या सेन्ट्रोसोम(centrosome)
यह प्रायः केन्द्रक के समीप जन्तु कोशिकाओं में मिलने वाली विशेष संरचना होती है। तारककाय में प्रायः दो तारककेन्द्र या सेंट्रियोल्स(centrioles)होते हैं। प्रत्येक तारककेन्द्र एक बेलनाकार के आकार की होती है जिसमे तीन-तीन के समूह में नौ स्थानों पर सूक्ष्म नलिकाएँ (microtubules)होती हैं।
लवक या प्लास्टिड्स(plastids)
यूकैरियोटिक पादप कोशिकाओं में कुछ विशेष प्रकार की संरचनाएं मिलती है जो माइटोकांड्रिया से बड़ी तथा केन्द्रक से छोटी होती हैं।लवक सदैव पहले से उपस्थित रचनाओं प्रोप्लास्टिडस(proplastids) से ही बनते है तथा परिपक्व कोशिकाओं में अपने विभिन्न रंगों के कारण आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
लवको का यह रंग उनमे उपस्थित विभिन्न वर्णकों(pigments)के कारण होता हैं। रंगों के आधार पर ही  लवको को  निम्नलिखित तीन प्रकार का माना जाता है-
(1):- हरितलवक या क्लोरोप्लास्टस(chloroplasts)-  ये हरे रंग का होता है।
(2):- वर्णीलवक या क्रोमोप्लास्टस(cromoplasts)- ये विभिन्न रंगों के होते हैं।
(3):- हरितलवक या ल्यूकोप्लास्टस(leucoplasts) -   ये  रंगहीन अथवा श्वेत रंग के होते है।     
  राइबोसोम्स (RIBOSOMES) (Ribosomes)
कोशिका में अंतः प्रद्रव्यी जालिका से चिपके हुए अथवा कोशिकाद्रव्य में स्वतन्त्र एवं लगभग समान आकार के अनेक सूक्ष्म कण होते हैं। जिन्हें राइबोसोमस कहते हैं।
राइबोसोमस की र संरचना अत्यंत जटिल होती है । प्रत्येक राइबोसोमास दो आसमान भागों से बना होता है। एक भाग छोटा एक भाग बड़ा होता है। दोनों भागों मिलकर एक गरारी की तरह की संरचना बनाती हैं। बड़ा भाग गुम्बदाकार तथा छोटा भाग टोपी के तरह होता है।
                                                            लाइसोसोमस(Lysosomes)
इसकी रचना एक पर्त वाली कला से बनी होती है तथा इसमें विभिन्न प्रकार के पाचक एंजाइम्स भरे  होते है जो प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेटस, वसा, RNA,DNA इत्यादि के बड़े अणुओं को अम्लीय माध्यम में तोड़कर छोटे  अणुओं में बदल देते हैं। लाइसोसोमस का निर्माण अन्तःप्रद्रव्यी  जालिका या गाल्जी काय अथवा दोनो से मुकुलन  द्वारा होता हैं।
रिक्तिकाएँ(vacuoles)
रिक्तिकाएँ अपने बाहरी आकार पर एक झिल्ली द्वारा ढकी रहती है जिसे रिक्तिका कला या टोनोप्लास्ट(tonoplast) कहते है । रिक्तिका एक तरल पदार्थ से भरी रहती है। यह पदार्थ पानी मे विभिन्न पदार्थों का : जैसे - विभिन्न खनिज लवण , कार्बोहाइड्रेट्स , कार्बनिक अम्ल  तथा कुछ वर्णकों का विलयन होता है और इसे कोशिका रस या रिक्तिका रस कहते हैं।
                                                             केन्द्रक(nucleus)
केन्द्रक चारों ओर से एक दोहरी झिल्ली द्वारा घिरा होता है, जिसे केंद्रीय कला (neclear membrane ) कहते हैं। केन्द्रकीय कला के अंदर अर्द्ध- तरल पदार्थ भरा रहता है , जिसे केन्द्रकीय द्रव्य (nucleoplasm) कहते हैं।इसी केन्द्रकीय द्रव्य में जाल की भांति अनेक सूत्राकार संरचनाएं होती हैं। इसे क्रोमैटिन जालक कहते हैं।
केन्द्रकीय द्रव्य में  केंद्रिके

राइबोसोमस(Raibo

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